औकात Harshad Mehta

औकात Harshad Mehta

'आज अपने सपने,
औकात से बड़े रखो,
कल तुम्हारी औकात,
सपनो से बड़ी होगी.!
'

औकात

औकात

छेड़े इस शेर को,
है किसी की इतनी औकात,
गर्दिश में घेर लेते हैं
गीदड़ भी शेर को।